अपना करियर खुद तय करे (Motivational Story)


एक बार एक डॉक्टर बहुत ही महान सर्जन बन जाता है, इतना महान की उसके पुरे देश में सर्जन का प्रेसिडेंट/अध्यक्ष बन जाता है. यह एक तरफ से बहुत बड़ी बात थी जिसको लेकर उस सर्जन डॉक्टर के घर बहुत बड़ी पार्टी मनाई जा रही थी.

इतनी बड़ी बात होते हुए, इतनी बड़ी उपलब्धि मिलने के बाद, सर्जन का प्रेसिडेंट बन जाने के बाद भी वो डॉक्टर खुश नहीं था. इसी क्या वजह थी की वो खुश नहीं था?

उसे उदास देख कर कुछ दोस्त आकर पूछा: “तुमने इतनी बड़ी उपलब्धी प्राप्त की है जिसके बारे में कोई दूसरा सपने में भी नहीं सोच सकता. तुम इतने बड़े सर्जन बन चुके हो फिर भी इतने उदास क्यों हो?”

तो उस डॉक्टर ने कहा: “जो उपलब्धी मैंने प्राप्त की है, मैं आज एक सर्जन का प्रेसिडेंट हु, लेकिन मुझे ये नहीं बनना था. इसमें मुझे कोई भी रूचि नहीं हैं, मैं कभी भी सर्जन बनना नहीं चाहता था लेकिन अब में इससे निकल भी नहीं सकत हु क्योंकि अगर मैं असफल हो गया होता तो सायद मेरे पास एक और मौका होता जिसमे मैं वो कर सकता था जिसमे मुझे रूचि है. अब में एक एसी चीज से बंध गया हु जिसमे मुझे कोई मज़ा नहीं आता, कोई ख़ुशी नहीं मिलती, कोई मन नहीं लगता”

तो उस डॉक्टर के सभी दोस्तों ने कहा कि क्या तुम मजाक कर रहे? देश के सबसे बड़े प्रेसिडेंट होना कितनी आदर की बात होती है, तुम्हारी बीवी खुश है, तुम्हारे बच्चे खुश हैं, हर कोई खुश है और समाज में तुम्हारी एक बहुत बड़ी इज्जत भी बन गई है हर कोई तुम्हारा सम्मान कर रहा है.

तो उस डॉक्टर ने कहा:  “सभी लोग मेरा सम्मान तो कर रहे है, लेकिन मैं नहीं करता. मैं बस लोगो की नजरो में उठ गया हु लेकिन मैं खुद की नजर में नहीं. मुझे एक डांसर बनना था लेकिन मेरे माता-पिता, मेरे घर वाले सभी इसके खिलाफ थे. घर वालो का कहना था की में बायोलॉजी लेकर पढाई पर ध्यान दू. इस तरह से मैंने घर वालो की सुन ली. मैं कमजोर था मुझमे उस वक्त घर वालो से लड़ने की शक्ति नहीं थी. मैंने घर वालो की बात मान ली और पढ़ लिख कर एक महान सर्जन बन गया. और मेरे डांसर बनने की इच्छा अधूरी रह गई, और आज भी मुझे डांसर बनने की इच्छा होती है लेकिन अब वो वक्त नहीं रहा मेरे हाथ से वो वक्त चला गया जिस वक्त में घर वालो से लड़ कर, हिम्मत कर के डांसर बनने का करियर चुना सकता था. मेरे पास वो हिम्मत नहीं थी.

दोस्तों इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि हमें वक्त के गुजर जाने के बाद पछताने से अच्छा है कि हमें समय पर ही यह तय कर लेना चाहिए की हम क्या करना चाहिए, हमें न तो किसी के कहने पर अपना करियर तय करना चाहिए और न ही किसी को देख कर. हमें अपना करियर खुद तय करना चाहिए. क्योंकि आपको आपसे अच्छे तरीके से कोई नहीं जनता है तो आपसे अच्छे तरीके से आपका करियर कोई तय नहीं कर सकता.

इस कहानी को आगे शेयर करने से किसी का करियर जरुर बदल सकता है, फेसबुक, ट्वीटर, गूगलप्लस आदि सोशल साइट्स पर जरुर शेयर करे.

No comments :

Post a Comment